“एक नूर था जो किरनों को अपनी बिखेरकर रोशनी, जहां से चला गया"
मोहम्मद जावेद मौला
पुणे : पुणे के मशहूर उर्दु पत्रकार और दै. राष्ट्रीय सहारा और मेरा भारत टाईम्स के सिनियर रिपोर्टर जावेद शेख की ता. १३ जुलै २०२२ को तीसरी बरसी हाल ही मे हो गयी, उनका ६० साल के उम्र में १३जुलै २०१९ रात ११.३० बजे स्थानिक अस्पताल में न्युमोनिया से इंतेकाल हुआ। उन्हें दो दिन पहले अस्पताल में दाखिल किया गया कादरी की हौसला अफजाई की और मेरा भारत टाईम्स के परिवार मरहूम जावेद शेख को बाबा कादरी की कमी महसूस नही होने दी। जावेद शेख बहोत ही हसमुख और मिलनसार थे।
पत्रकारिता के साथ साथ वो एक दर्दमंद दिल भी रखते थे। वो बहोत ही अच्छे इंसान थे। इसलिए उनके चले जाने से दै. मेरा भारत टाईम्स का तजुर्बा उन्हें राष्ट्रीय दै. सहारा न्यूजपेपर में काम आया। २००६ को मुंबई एडीशन के सहारा अखबार के लिए पूणे से था।
जावेद शेख ने उर्दू पत्रकारिता की शुरूआत एडीटर बाबा कादरी मरहूम के साप्ताहिक मेरा भारत टाईम्स से २००४ से की थी। याद रहे के अचानक १६ जनवरी २०१६ में संपादक बाबा कादरी के इंतेकाल के बाद जावेद शेख ने मेरा भारत टाईम्स को अपनी
पत्रकारिता के तजुर्बे का सहारा दिया और नए संपादक उस्मान प्रतिनिधीत्व करने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ। और बहोत कम अरसेमें उन्होंने सहारा को पूना के पाठकों का पसंदीदा अखबार बना दिया सहारा को पूना में शुरू कराने का सेहरा भी उन्हें हासिल
है। २००६ से १३ जुलै २०१९ तक जावेद शेख ने सहारा के लिए रिपोर्टर के तौर पर अपनी खिदमात पेश की। उनकी पत्रकारिता के लिए शौक और लगन ने सहारा अखबार को बहोत जल्द पुना में कामयाबी की बुलंदीयों पर पहुंचाया। उन्हें ना सिर्फ पुना शहर बल्के पिंपरी चिंचवड के लिए भी रिपोर्टींग करने का मौका मिला। पुणे की सियासी,
समाजी, अदबी तालीमी और मज़हबी जलसे के इलावा पुणे मनपा की ताज़ा खबरों को सहारा और मेरा भारत टाईम्स की जनत बनाते थे। उनके इंतेकाल पर शहर के सभी जाती धर्मीयों के लोगों ने गहरे रंज व गम का इज़हार किया था और बारगाहे इलाही में दुआ है के अल्लाह उनकी मगफिरत करें। आमीन !
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